What is a legal notice, and when is legal notice sent?
लीगल नोटिस क्या होता है और लीगल नोटिस कब भेजा जाता है ?
लीगल नोटिस में हम अपने प्रतिद्वंदी को यह बताते हैं कि उसने हमारे देश के कानून का उल्लंघन किया है और वह कैसे किया है और उससे हमें क्या नुकसान हुआ है या फिर क्या हो सकता है। इसके साथ ही अगर वह अपनी उस गलती को सुधारना चाहता है तो इसके लिए उसे हमारी शर्तें माननी होंगी। जोकि वह उस नोटिस में लिखी जाती हैं। तथा उन शर्तों को मानने की समय सीमा भी लिखी जाती है। अगर इस दिए समय में आप की शर्तों के अनुसार कार्य नहीं किया, तो आप कानूनी कार्रवाई करेंगे। क्योंकि दी गई सीमा के बाद आप कानूनी कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होते हैं।
लीगल नोटिस क्या है?
- लीगल नोटिस का साधारण भाषा मे अर्थ होता है की किसी व्यक्ति या संस्था के लिए एक औपचारिक संचार है, जो आपके इरादे के किसी दूसरे पक्ष को उनके बारे में कानूनी कार्यवाही करने के लिए सूचित करता है और उस गलती में सुधार करने का एक आखरी मौका देने से है।
- लीगल नोटिस, एक तरह से किसी व्यक्ति को सूचित करना कि दूसरे पक्ष द्वारा जो गलती या भूल हुयी है, जो जानबूझकर या भूलवश की गयी है और उसे तुरन्त ही सुधार मे लाया जाये, इसे अवगत कराना ही नोटिस है। अन्यथा वह लीगल कार्यवाही के लिये तैयार रहे। लीगल नोटिस केवल सिविल मामलो में ही भेजा जाता है। जैसे, संपत्ति सम्बंधित, चेक केस, कॉन्ट्रैक्ट सम्बंधित आदि।
- आपराधिक मामलों में यह एक दो मामलों को छोड़कर भेजना जरूरी नहीं है। Civil procedure code की धारा 80 में लीगल नोटिस भेजने का प्रावधान है। इसी तरह अन्य कानूनों जैसे Negotiable instrument act के तहत चेक बाउंस से सम्बंधित मामलो में लीगल नोटिस भेजने का प्रावधान है।
लीगल नोटिस को कैसे ड्राफ्ट करें?
लीगल नोटिस हमेशा किसी वकील के माध्यम से ही ड्राफ्ट करवाए तो सबसे उत्तम है। क्योंकि एक वकील लीगल नोटिस वो सभी बातो के साथ क़ानूनी तरीके से आपके लिए लीगल नोटिस तैयार करता है। जिससे आपको क़ानूनी रूपसे कम समय में सही हल मिल जाता है। इसे बहुत ही सावधानी से बनाना जाना चाहिए। क्योंकि आप कोर्ट में कोई भी केस फाइल करके उसे वापस ले सकते हैं या फिर उस केस में कोई भी बदलाव करके दोबारा भी फाइल कर सकते हैं। लेकिन लीगल नोटिस एक बार भेजने के बाद आप उसमें कोई भी बदलाव नहीं कर सकते हैं। फिर उस गलती का कोई इलाज नहीं है इसलिए लीगल नोटिस को किसी अच्छे वकील से ही बनवाये।
लीगल नोटिस में लिखे गए शब्द बहुत जरूरी होते है क्योंकि यह शब्द ही केस को कोर्ट तक पहुंचा सकते है, इसलिए यही सलाह दी जाती है कि लीगल एक्सपर्ट्स के द्वारा ही आपका लीगल नोटिस तैयार किया जाए। यदि आप भी लीगल नोटिस तैयार करवाना चाहते है तो Vakilkaro को सम्पर्क करे। Vakilkaro के expert वकील आपको लीगल नोटिस बहुत कम समय में और सटीक तरीके से तैयार करके देंगे। हमारा contact number है 9828123489.
लीगल नोटिस ड्राफ्ट करने के steps:
- सबसे पहले आपको ऊपर डेट लिखना होता है। फिर आप जिसे लीगल नोटिस भेज रहे हैं उसका पूरा नाम व पता लिखें अगर वे एक से ज्यादा है तो उन्हें सीरियल नंबर देकर सम्बोधन करें।
- सब्जेक्ट में लीगल नोटिस का कारण लिखना होता है। ताकि सामने वाले व्यक्ति को पता चल सके कि लीगल नोटिस किस कारण भेजा गया है?
- फिर आप वह लीगल नोटिस किस मोड़ से भेज रहे हैं उसका विवरण करें जैसे की स्पीड पोस्ट, रजिस्टर्ड या कोरियर इत्यादि।
- इसके बाद अपना पूरा नाम व पता लिखने के बाद आप उस व्यक्ति को सम्बोधित करें , जिससे आपको बात कहनी है, उसे साफ स्पष्ट रूप से कम शब्दों में ज्यादा बात लिखे। आपके साथ जो गलत किया है उसका विवरण दें।
- फिर विरोधी पार्टी को अपनी शर्त और बातों को मानने के लिए एक सीमा दे। अगर लीगल नोटिस चेक बाउंस से सम्बन्धित है तो उसमें चेक का पूरा ब्यौरा दें कि वह चेक कैसे कब और किस कारण से बाउंस हुआ था तथा उससे अपनी पेमेंट देने व लेने की बात भी कहे अगर जमीन से सम्बन्धित है तो जमीन का ब्यौरा देकर उसके बारे में गलत हुआ वह लिखें।
- अंत में अपनी शर्तों और बातों को मानने की समय सीमा का विवरण दें। वैसे सामान्य कानूनी रूप से समय सीमा 15 दिन होती है। लेकिन कुछ केस में समय सीमा को घटाकर 7 दिन भी कर सकते हैं।
- आप चाहे तो सामने वाली पार्टी को समय पर अपनी शर्तों के अनुसार कार्य नहीं करने पर नुकसान भरने के लिए राशि भी बता सकते हैं तथा कोर्ट में जाने की बात तो कहते ही है।
- अंत में भेजने वाला लीगल नोटिस के हर पेज पर अपने हस्ताक्षर करना होता है।
- लीगल नोटिस की एक डुप्लीकेट कॉपी अपने पास रखनी होती है।
- लीगल नोटिस में पार्टी को नोटिसी कह कर सम्बोधित किया जाता है तो इस नियम का पालन करें। उन्हें नाम की बजाय नोटिसी कहे तथा 1 से ज्यादा पार्टी होने पर उन्हें नाम की जगह अपने द्वारा दिए गए सीरियल नंबर से सम्बोधित करें जैसे नोटिसी नंबर 1 या नोटिसी नंबर 2।
जब एक बार लीगल नोटिस भेजने के पश्चात् द्वितीय पक्ष उस लीगल नोटिस को रिसीव कर लेता है और फिर भी समय पर कोई उत्तर नही देता है या आपकी नोटिस को रिसीव भी नहीं करता है, तो एक बार पुनः रिमाइंडर नोटिस भेज सकते है। यदि फिर भी द्वितीय पक्ष द्वारा कोई भी उत्तर नहीं दिया जाता है, तो आप उसके खिलाफ लीगल कार्यवाही करने के लिए स्वतंत्र हो जायेंगे।
लीगल नोटिस भेजना क्यों जरूरी है ?
- सिविल केस में कोर्ट में केस फाइल करने से पहले कोर्ट खुद पूछता है कि आपने द्वितीय पक्ष को लीगल नोटिस भेजा या नहीं। क्यूंकि सिविल केस में द्वितीय पक्ष को कोर्ट में केस करने से पहले सुचना देनी होती है।
- लीगल नोटिस भेजने से विवाद आपसी सुलह से सुलझ सकता है,और हो सकता है कि बात कोर्ट तक नहीं पहुँचे। यानि यह एक वाद पूर्व (pre-litigation) सुलह का भी माध्यम है।
- यदि एक बार मामला कोर्ट तक पहुंच जाता है तो उसमे कोर्ट का फैसला आने में सालों लग जाते है। इसलिए लीगल नोटिस भेजकर किसी बिंदु पर सुलह करना सबसे बढ़िया होता है।
लीगल नोटिस किन मामलो में भेजा जाता है ?
- सम्पति या जायदाद सम्बंधित बंटवारे के मामलों में
- चेक बोन्स के मामलों में
- पारिवारिक विवाद जैसे तलाक़, मेंटेनेन्स, बच्चों की कस्टड़ी के मामलो में
- वेतन,मजदूरी से संबंधित मामलों में
- ख़राब समान या सेवा के मामलों में
- कॉन्ट्रैक्ट से संबंधित मामलो में।
- Legal Notice मिलने के बाद क्या करें
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