लड़कियों की उम्र को लेकर सुप्रीम कोर्ट एक बार फिर से लगाई गई याचिका
सभी धर्मों के युवकों और युवतियों की शादी की उम्र 21 साल करने के लिए अब तेज़ हो चुकी है और एक बार फिर से अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इससे पहले भी अश्विनी उपाध्याय की याचिका के निर्णय में अगस्त 2019 में दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र और भारत के विधि आयोग को नोटिस जारी किया था। इसमें उन्होंने पुरुषों और महिलाओं के लिए विवाह की कानूनी उम्र को एक समान करने की मांग की थी। इस जनहित याचिका में कहा गया है कि देश में शादी के लिए अलग अलग आयु है। यह व्यवस्था संविधान में दिए गए समानता के अधिकार और महिलाओं की गरिमा के खिलाफ है। अभी भारत देश में लड़कियों के लिए शादी की न्यूनत्तम उम्र 18 है, जबकि लड़कों की न्यूनत्तम उम्र 21 साल है।
मां बनने की उम्र से संबंधित समस्याएं, मातृ मृत्यु दर (MMR) को कम करने, पोषण स्तर में सुधार और संबंधित मुद्दों की जांच करने के लिए केंद्र की टास्क फोर्स का गठन किया गया था। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से जून 2020 में बनाई गई टास्क फोर्स में नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल भी शामिल थे।
हलाकि ये पहली बार नहीं है की शादी की उम्र को बढ़ाने की बात कही जा रही है। इससे पहले भी 1978 में महिला के शादी की उम्र 15 से बढ़ाकर 18 साल की गई थी। जैसे जैसे भारत विकास पथ पर बढ़ता गया, महिलाओं के लिए शिक्षा और करियर के रास्ते भी खुलते गए।
एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय की याचिका में क्या मांग थी?
- एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने एक बार फिर से शादी की उम्र को लेकर याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने पुरुषों और महिलाओं के लिए शादी की कानूनी उम्र को एक समान करने की मांग की थी। इस जनहित याचिका में कहा गया है कि देश में शादी के लिए अलग आयु का निर्धारण किया गया है। यह व्यवस्था संविधान में दिए गए समानता के अधिकार और महिलाओं की गरिमा के खिलाफ है। इसलिए इस व्यवस्था को समाप्त कर विवाह की आयु समान की जाए।
- याचिका में कहा गया है कि मौजूदा व्यवस्था में शादी की न्यूनतम आयु पुरुषों के लिए 21 वर्ष तथा महिलाओं के लिए 18 वर्ष रखी गई है। ऐसा इंडियन क्रिश्चियन मैरिज एक्ट, पारसी मैरिज एंड डिवोर्स एक्ट, स्पेशल मैरिज एक्ट, हिंदू मैरिज एक्ट, बाल विवाह रोकथाम अधिनियम के विभिन्न कानूनी प्रावधानों के कारण हो रहा है। यह महिलाओं के साथ भेदभाव है। इसलिए उनके लिए शादी की आयु 18 साल को अवैध घोषित किया जाए। याचिका में यह भी दावा किया गया है कि शादी की उम्र में अंतर लैंगिक समानता, लैंगिक न्याय और महिलाओं की गरिमा के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। इसलिए लड़कियों की शादी की उम्र को 18 से बढाकर 21 वर्ष किया जाये।
सुप्रीम कोर्ट ने अश्विनी उपाध्याय की याचिका क्यों ख़ारिज की?
- सुप्रीम कोर्ट ने पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए विवाह की एक समान न्यूनतम आयु की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया। याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि कुछ मामले ऐसे हैं जो संसद के लिए आरक्षित हैं। भारत के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की अध्यक्षता वाली पीठ इस मुद्दे पर सुनवाई कर रही थी। पीठ ने इस दौरान यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट संसद को कानून बनाने के लिए परमादेश (एक असाधारण रिट) जारी नहीं कर सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे मामले संसद के लिए हैं, हम यहां कानून नहीं बना सकते।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये कानून में संशोधन का मामला है। ऐसे में कोर्ट इस मामले में संसद को कानून लाने के आदेश नहीं दे सकता। अगर कोर्ट शादी की 18 साल की उम्र को रद्द कर देता है तो फिर शादी के लिए कोई न्यूनतम उम्र नहीं रह जाएगी।
- लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ये कहते हुए याचिका को ख़ारिज कर दिया, की यह अदालत इसके लिए परमादेश जारी नहीं कर सकती है। संसद का काम है कानून बनाना।
- हम संसद के काम में दखलंदाजी नहीं कर सकते है। इसलिए हम इस याचिका को अस्वीकार करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा गया है कि कोर्ट धार्मिक मान्यताओं से अलग हटकर कानून बनाए जिसमें विवाह की एक समान उम्र तय हो। लड़कियों की शादी के लिए न्यूनतम उम्र भी तय की जाए जो कि सभी नागरिकों पर लागू हो।
कोर्ट ने क्यों लगाई अश्विनी उपाध्याय को फटकार?
- याचिकाकर्ता बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय को कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि हमें ये मत सिखाइए कि संविधान के रक्षक के तौर पर हमें क्या करना चाहिए। इस जनहित याचिकाओं का माखौल मत बनाइए।
भारत में शादी की न्यूनतम उम्र क्यों है?
- बाल विवाह को अनिवार्य रूप से गैर कानूनी घोषित करने और नाबालिगों के साथ दुर्व्यवहार को रोकने के लिए शादी की न्यूनतम आयु निर्धारित करता है। भारत में 1978 से लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 15 से बढ़कर 18 साल की थी। मौजूदा कानून के मुताबिक, देश में पुरुषों की विवाह की न्यूनतम उम्र 21 और महिलाओं की 18 साल है।
कानून के तहत महिला के विवाह की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने वाले प्रस्ताव को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी थी। देश में पुरुषों के विवाह की वैध उम्र 21 साल ही है। कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद सरकार बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 में संशोधन का कानून लाएगी और इसके साथ ही स्पेशल मैरिज एक्ट और पर्सनल लॉ जैसे हिंदू मैरिज एक्ट 1955 में भी संशोधन होगा। लेकिन ये सब संसोधन 2021 से ही संसद में अटका हुआ है। अब देखना ये है की संसद कब लड़कियों की शादी की उम्र को कानून लेकर आती है। आर्टिकल को आगे भी और लोगों तक शेयर करें।
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