पीरियड्स के दौरान महिलाओं को वर्कप्लेस पर छुट्टी मिले, इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में शैलेंद्र मणि त्रिपाठी ने दाखिल की याचिका
दुनिया के कुछ देशों में ये कदम इसलिए उठाया जा रहा है ताकि महिलाओं को काम करने के लिए बराबरी के मौके मिलें। महिलाएं सेफ्टी को लेकर और लेट ऑफिस आने-जाने में ज्यादा मुश्किलें झेलती हैं। इसलिए वर्कप्लेस को ज्यादा जेंडर इक्वल बनाने की डिमांड रखने वाले इन छुट्टियों की मांग कर रहे हैं।
पीरियड लीव के मामले में कई कंपनियां अपनी पॉलिसी चेंज कर रही हैं। वहीं, दुनिया भर में भी इसे लेकर बहस जारी है। महिलाओं का मानना है कि ये उनकी जरूरत है, जबकि कुछ लोगों के लिए ये छुट्टी लेने का बहाना या फिर मजाक का विषय है। इस आर्टिकल में आप जानेंगे पीरियड से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातें। आर्टिकल को आगे शेयर जरूर करें।
मासिक धर्म क्या होता है?
- हार्मोन के चलते शरीर में होने वाले बदलाव के कारण गर्भाशय से स्राव होता है और उसे ही मासिक धर्म कहा जाता है। यह प्रक्रिया हर 25-30 दिन पर होती है।
क्या पीरियड्स का दर्द सच में बहाना होता है?
- पीरियड्स से संबंधित लक्षण हर लड़की और महिला में अलग होते हैं। कई सर्वे में 80 से 85% महिलाओं ने माना कि उन्हें पेनफुल पीरियड्स होते हैं। पीरियड्स सिर्फ दर्द तक सीमित नहीं होते। पीरियड्स के पहले-दूसरे दिन महिलाएं या लड़कियां कई दिक्कतों का सामना करती हैं। ज्यादा दर्द, हैवी ब्लीडिंग, उल्टी, क्रैम्प, ब्रेस्ट टेंडरनेस, मूड स्विंग, हेडेक, माइग्रेन जैसे कई लक्षण महिलाओं में देखने को मिलते हैं।
- महिलाओं को इतना तेज दर्द होता है कि उन्हें इंजेक्शन देना पड़ता है। सीवियर पेन का कारण एंडोमेट्रियोसिस फाइब्रॉयड होता है। पहला दिन अधिकांश लड़कियों के लिए मुश्किल वक्त होता है। वहीं, बहुत सारी लड़कियां शुरुआत के दो दिन पेन किलर्स का सहारा लेती हैं। लंबे समय तक पेनकिलर्स खाना सेहत पर बुरा असर डालता है।
महिलाएं महीने में 2 दिन दर्द के कारण काम नहीं कर पातीं:
- ब्रिटिश मेडिकल एसोसिएशन के जर्नल BMJ में प्रकाशित एक अध्ययन में शामिल नीदरलैंड की 32 हजार महिलाओं में से करीब 81% का कहना था कि पूरे साल में पीरियड्स के दौरान होने वाली तकलीफ से उनकी प्रोडक्टिविटी में करीब 23 दिन के काम की कमी आई। या यूं कहें कि ये महिलाएं हर महीने 2 दिन पीरियड्स के दर्द से परेशान रहीं।
- भले ही अब दुनिया भर की कंपनियां कामकाजी महिलाओं के लिए माहवारी के दिनों में छुट्टी को लेकर पॉलिसी बना रही हैं, लेकिन यह कॉन्सेप्ट नया नहीं है। दुनिया भर में कम से कम एक सदी पहले से पीरियड लीव का कॉन्सेप्ट अलग-अलग रूप में मौजूद रहा है।
- सबसे पहले सोवियत संघ ने इस मुद्दे पर पहल की। सोवियत संघ में 1922 में, जापान में 1947 में और ताइवान और इंडोनेशिया में 1948 में इससे जुड़ी नेशनल पॉलिसी पेश की गई। ये पॉलिसी कारखाने में काम करने वाली महिलाओं के लिए बनी थी। इन महिलाओं को उस दौरान तीन दिन की पेड लीव मिलती थी। इस छुट्टी के पीछे मकसद महिलाओं की रिप्रोडक्टिव हेल्थ को बचाना था ताकि देश के सभी नागरिक स्वस्थ रहें।
कंपनियां किसी महिला को नौकरी देने से पहले अपना नफा-नुकसान देखती हैं:
- पीरियड लीव हो या मैटरनिटी लीव, इस पर कंपनियों का नजरिया नफा-नुकसान वाला ही होता है। अक्सर जॉब ऑफर करते समय लड़कियों से पूछा जाता कि ‘आप शादी तो नहीं करने वाली हैं?’ अगर शादीशुदा होती हैं तो उनसे पूछा जाता है कि ‘आप फैमिली तो प्लान नहीं कर रहीं।’
- कंपनियों के मन में पीरियड्स वाली बात भी होती है। उन्हें ये भी लगता है कि लड़की है तो इस पर घर की जिम्मेदारियां भी होंगी। ऐसे में लड़कियों को जॉब ऑफर करते वक्त कंपनियां अपनी प्रोडक्टिविटी को समझते हुए पुरुष कैंडिडेंट को नियुक्त करना पसंद करती हैं।
भारत में सबसे पहले बिहार में महिलाओं को मिली पीरियड्स लीव:
- बिहार भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है जो 1992 से महिलाओं को दो दिन का विशेष मासिक धर्म दर्द अवकाश प्रदान कर रहा है। बिहार में पहली बार 1992 में लालू यादव की सरकार के दौरान 2 जनवरी से 2 दिन की पीरियड लीव देनी शुरू हुई थी । 1997 इसके लिए महिलाओं ने 32 दिन का आंदोलन चलाया था, जिसके बाद उन्हें यह हक मिला। बिहार में नियम बनने के सात साल बाद 1997 में मुंबई स्थित मीडिया कंपनी कल्चर मशीन ने 1 दिन की छुट्टी देने की शुरुआत की।
- केरल सरकार ने जनवरी 2023 में छात्राओं को ध्यान में रखकर सरकार ने उच्च शिक्षा विभाग के तहत आने वाले सभी राज्य विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाली छात्राओं को मासिक धर्म की छुट्टी देने का ऐलान किया। राज्य की उच्च शिक्षा मंत्री आर बिंदू की ओर से ये ऐलान किया गया था। अब केरल की छात्राओं को पीरियड के दौरान 2 दिन की छुट्टी मिलेगी।
शर्म और स्टिग्मा की वजह से महिलाएं नहीं लेती छुट्टी:
- जापान और साउथ कोरिया में महिलाओं को पीरियड्स के लिए छुट्टी मिलती है। लेकिन वहां भी महिलाएं इस छुट्टी का इस्तेमाल नहीं करती हैं। जापान में 1947 में लेबर राइट्स कंसर्न के तहत पीरियड लीव पॉलिसी आई।
- जापान की स्थानीय मीडिया रिपोर्ट बताती है कि साल 1965 में केवल 26% महिलाओं ने इस छुट्टी का इस्तेमाल किया। लेकिन वक्त के साथ ये आंकड़ा और कम हो गया। वहां की सरकार ने साल 2017 में एक सर्वे कराया, उसमें ये बात सामने आई कि सिर्फ 0.9% महिलाओं ने ही पीरियड लीव अप्लाई की थीं।
- पॉलिसी लाना एक टेंपरेरी उपाय है, लेकिन सोसायटी का नजरिया बदलना अहम काम है। जिन देशों ने इसकी शुरूआत की है, उनमें से ज्यादातर जगह महिलाएं ये सुविधा न के बराबर ले रही हैं कि कहीं उनके कलीग उन्हें कमतर आंकते हैं या हेय दृष्टि से देखते हैं। तो कहीं उनसे मेडिकल सर्टिफिकेट मांगा जाता है।
- महिलाएं घर-बाहर ‘राउंड द क्लॉक’ काम करती हैं, ऐसे में सिर्फ दो छुट्टी से उन्हें गैर बराबरी का तमगा नहीं दिया जा सकता। औरतों को समझने के लिए हमें सबसे पहले उनके अस्तिव को स्वीकरना होगा। हम जब उनके अस्तित्व को स्वीकार लेंगे फिर उनसे जुड़ी दिक्कतों को समझने में आसानी होगी।
- हमारे लिए फिर ये एक या दो दिन की छुट्टी की बात न होकर सेहत से जुड़ा मुद्दा होगा। एक सच्चाई ये भी है कि महिलाओं के हक में जब कोई नियम बना है, पुरुषों के एक तबके ने हमेशा ही उसका विरोध किया है। चाहे वो दहेज उन्मूलन, संपत्ति का अधिकार या अब मेन्स्ट्रुअल लीव ही क्यों न हो।
संविधान में क्या कहा गया है?
- याचिका में कहा गया था कि 1961 का अधिनियम महिलाओं के सामने आने वाली लगभग सभी समस्याओं के लिए प्रावधान देता है, जिसे इसके कई प्रावधानों से समझा जा सकता है, जिसने नियोक्ताओं के लिए गर्भावस्था के दौरान कुछ दिनों के लिए महिला कर्मचारियों को वेतन के साथ अवकाश देना अनिवार्य कर दिया है । इसी तरह गर्भपात, ट्यूबेक्टॉमी ऑपरेशन के लिए या किसी भी मेडिकल कॉम्पलिकेशन में छुट्टी के लिए कहा गया है।
भारत में ये कंपनियां भी देती हैं लीव
- कई कंपनियां महिलाओं को पीरियड लीव देती हैं। साल 2020 में फूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो ने पीरियड लीव देने का ऐलान किया। इस समय भारत में 12 कंपनी पीरियड लीव दे रही हैं। जिनमें स्विगी, जोमैटो के आलावा बायजू, मातृभूमि, मैग्जटर, वेट एंड ड्राई, कल्चर मशीन, इंडस्ट्री ARC, गोजूप ऑनलाइन, हॉर्सेज स्टेबल न्यूज, फिलमाईबिज, जयपुरकुर्ती. कॉम भी महिला कर्मचारियों को पीरियड लीव देता है।
- जनवरी 2023 में इलेक्ट्रिक सामान बनाने वाली दिल्ली की कंपनी ओरिएंट इलेक्ट्रिक ने महिला कर्मचारियों के लिए पीरियड लीव की घोषणा की है।
किन देशों में मिलती है पीरियड लीव?
- यूनाइटेड किंगडम, चीन, वेल्स, जापान, ताइवान, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, स्पेन और जाम्बिया जैसे देश पहले से ही किसी न किसी रूप में पीरियड्स के दौरान होने वाली तकलीफों को समझते हुए अवकाश दे रहे हैं।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने महिलाओ के लिए पीरियड लीव पर सुनवाई करते हुए कहा कि इसका निर्णय लेने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को एक प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही ये भी कहा की 'पीरियड लीव एक पॉलिसी मैटर है जिसमे सुप्रीम कोर्ट दखल नहीं देगा'।
अब देखना ये है की क्या पॉलिसी में बदलाव करके महिलाओं के लिए पीरियड लीव को मंजूरी दी जाएगी।
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