अगर किसी ने आपकी प्रॉपर्टी पर कर लिया है कब्जा, तो बिना कोर्ट जाए खाली करवा सकते है क्या?
प्रॉपर्टी से गैर कानूनी कब्जा खाली कराने के लिए Specific Relief Act की धारा 5 के तहत प्रावधान किया गया है। हालांकि प्रॉपर्टी के विवाद में सबसे पहले स्टे ले लेना चाहिए, ताकि कब्जा करने वाला व्यक्ति उस प्रॉपर्टी पर निर्माण न करा सके और न ही उसको बेच सके।
केस: पूनाराम बनाम मोतीराम 2019
बाड़मेर में पूनाराम ने जागीरदार से 1966 में कुछ संपत्ति खरीदी थी जो एक जगह नही थी। जब संपत्ति के लिए स्वामित्व घोषणा का वाद दायर किया गया तो कब्जा मोतीराम के पास मिला। मोतीराम कोई दस्तावेज नहीं दिखा पाया और ट्रायल कोर्ट ने सपंत्ति पर मकान बनाने के लिए पास किए नक्शे के आधार पर मोतीराम को 1972 में बेदखल करने का आदेश दिया। मोती हाईकोर्ट गया और राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला पलट दिया। इसके खिलाफ मालिक सुप्रीम कोर्ट आया था।
- प्रॉपर्टी पर अवैध कब्जे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना एक अहम फैसला 29 जनवरी 2019 को दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस फैसले में कहा, कि अगर किसी ने अस्थाई रूप से प्रॉपर्टी पर कब्जा कर लिया है, और उस प्रॉपर्टी का मालिक है यानी कि जिस व्यक्ति के नाम से वह प्रॉपर्टी रजिस्टर है।
- वह बलपूर्वक उस कब्जा करने वाले व्यक्ति को अपनी प्रॉपर्टी से बेदखल कर सकता है। (प्रोपर्टी पर अवैध कब्जे को लेकर सुप्रीम कोर्ट) चाहे कब्जा उसने 12 साल से ज्यादा समय से क्यों न कर रखा हो। इसके लिए प्रॉपर्टी के मालिक को कोर्ट में जाने की भी जरूरत नहीं है, क्योंकि कोर्ट की कार्यवाही की जरूरत तभी पड़ती है,जब बिना टाइटल की प्रॉपर्टी हो और संपत्ति परस्थाई कब्जा हो।
- शीर्ष कोर्ट ने कहा कि ऐसे कब्जेदार को हटाने के लिए कोर्ट की कार्यवाही की जरूरत भी नहीं है। कोर्ट कार्यवाही की जरूरत तभी पड़ती है जब बिना टाइटल वाले कब्जेधारी के पास संपत्ति पर प्रभावी/ सेटल्ड कब्जा हो जो उसे इस कब्जे की इस तरह से सुरक्षा करने का अधिकार देता है जैसे कि वह सचमुच मालिक हो।
- जस्टिस एनवी रमणा और एमएम शांतनागौडर की पीठ ने फैसले में कहा कि कोई व्यक्ति जब कब्जे की बात करता है तो उसे संपत्ति पर कब्जा टाइटल दिखाना होगा और सिद्ध करना होगा कि उसका संपत्ति पर प्रभावी कब्जा है।
- लेकिन अस्थायी कब्जा (कभी छोड़ देना कभी कब्जा कर लेना या दूर से अपने कब्जे में रखना) ऐसे व्यक्ति को वास्तविक मालिक के खिलाफ अधिकार नहीं देता। कोर्ट ने कहा प्रभावी कब्जे का मतलब है कि ऐसा कब्जा जो पर्याप्त रूप से लंबे समय से हो और इस कब्जे पर वास्तविक मालिक चुप्पी साधे बैठा हो। लेकिन अस्थायी कब्जा अधिकृत मालिक को कब्जा लेने से बाधित नहीं कर सकता।
- पीठ ने कहा कि संपत्ति पर कभी कभार कब्जा कर लेना या उसमें घुस जाना, जो स्थायी कब्जे में परिपक्व नहीं हुआ है, उसे वास्तविक मालिक द्वारा हटाया जा सकता है और यहां तक कि वह आवश्यक बल का भी प्रयोग कर सकता है।
- कोर्ट ने कब्जेदार का यह तर्क भी ठुकरा दिया कि लिमिटेशन एक्ट, 1963 की धारा 64 के तहत मालिक ने कब्जे के खिलाफ 12 वर्ष के अंदर मुकदमा दायर नहीं किया। कोर्ट ने कहा कि यह समय सीमा प्रभावी / सेटल्ड कब्जे के मामले में ही लागू होती है और अस्थायी कब्जे के मामले में नहीं।
कब्जा खाली कराने का अधिकार
- सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कहा था कि अगर आपके पास प्रॉपर्टी का टाइटल है, तो आप 12 साल बाद भी बलपूर्वक अपनी प्रॉपर्टी से कब्जा खाली करा सकते हैं। इसके लिए कोर्ट में केस दायर करने की जरूरत नहीं है।
- अगर प्रॉपर्टी का टाइटल आपके पास नहीं और कब्जा किए हुए 12 साल हो गए हैं तो आपको कोर्ट में केस करना होगा। ऐसे मामलों की कानूनी कार्यवाही के लिए Specific Relief Act 1963 बनाया गया। प्रॉपर्टी से गैर कानूनी कब्जा खाली कराने के लिए Specific Relief Act की धारा 5 के तहत प्रावधान किया गया है।
- हालांकि प्रॉपर्टी विवाद में सबसे पहले स्टे लेना ठीक रहता है ताकि कब्जा करने वाला व्यक्ति उस प्रॉपर्टी पर निर्माण न करा सके और न ही उसको बेच सके। स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट की धारा 5 के मुताबिक अगर कोई प्रॉपर्टी आपके नाम है यानी उस प्रॉपर्टी का टाइटल आपके पास है।
- किसी ने उस प्रॉपर्टी पर गैर कानूनी तरीके से कब्जा कर लिया है, तो उसे खाली कराने के लिए सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC) के तहत मुकदमा दायर करना होता है।
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