OVERVIEW
कोर्ट मैरिज कैसे करे और इसके लिए कौन कौन से डाक्यूमेंट्स की जरूरत होती है?
कोर्ट मैरिज का नाम सुनकर, आपके दिमाग में सबसे पहले क्या आता है? ये होती कैसे है, क्या प्रक्रिया है इसकी? क्योंकि अभी तक आपने ज्यादातर बैंड-बाजे वाली शादियां ही देखी होंगी। लेकिन अब शादियों में लाखों खर्च करने के बजाय, लोग कोर्ट मैरिज कर अपने पैसे बचा रहे हैं।
कोर्ट मैरिज की जब हम बात करते हैं तो ये आमतौर पर होने वाली शादियों से बिलकुल अलग होती है। इसे किसी परंपरागत समारोह के बिना ही कोर्ट में मैरिज ऑफिसर के सामने संपन्न किया जाता है। विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत ही सभी कोर्ट मैरिज की जाती हैं। कोर्ट मैरिज किसी भी धर्म संप्रदाय अथवा जाति के बालिग युवक-युवती के बीच हो सकती है। यहाँ आपको बता दें कि किसी विदेशी व भारतीय की भी कोर्ट मैरिज हो सकती है। कोर्ट मैरिज करने के लिए मैरिज रजिस्ट्रार के समक्ष आवेदन करना होता है।
1 दिन में कोर्ट मैरिज Register कैसे करें:
भारत में हिंदू की शादी के लिए मैरिज एक्ट 1955 या फिर स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 इसके तहत सारी शादियों का रजिस्ट्रेशन किया जाता है। इस एक्ट के अनुसार जो भी कोर्ट मैरिज करता है। उसकी कोर्ट मैरिज करने के लिए कुछ डाक्यूमेंट्स की आवश्यकता पड़ती है। जो इस प्रकार है।
कोर्ट मैरिज के लिए आवश्यक दस्तावेज:
- विवाह पंजीकरण का आवेदन पत्र
- दोनों पक्षों की 3-3 फोटोग्राफ
- दोनों पक्षों का आयु का प्रमाण पत्र (हाईस्कूल (10th) की मार्कशीट या जन्म प्रमाण पत्र) इसमें से कोई एक
- दोनों पक्षों का निवास प्रमाण पत्र (आधार कार्ड (ADHAR CARD), राशन कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन (PAN) कार्ड) इसमें से कोई एक
- दो गवाहों की फोटो व पैन कार्ड (PAN CARD)
- तलाकशुदा के मामले में तलाक की डिक्री या आदेश की प्रति और विधवा या विधुर के मामले में पति या पत्नी का मृत्यु प्रमाण पत्र
कोर्ट मैरिज कितने दिनों में हो जाती है
कोर्ट मैरिज करने में 30 दिन का टाइम लगता है। कोर्ट कि कुछ नियम कानून होते हैं। जिसको फॉलो करने में उसको 30 दिन लग जाते हैं। पहले तो आप को शादी के लिए एप्लीकेशन देनी होती है। फिर उसके बाद आपको अपने सारे प्रमाण पत्र देने होते हैं।
सारे प्रमाण पत्र देने के बाद रजिस्ट्रार ऑफिस से एक नोटिस आपके घर भेजा जाता है। नोटिस भेजने के बाद विवाह का समाचार वहां के लोकल न्यूज़ पेपर में निकाला जाता है। यह सब प्रक्रिया होने में काफी समय लग जाता है। इसलिए आप 1 दिन में कोर्ट मैरिज नहीं कर सकते हैं। यदि आप 1 दिन में विवाह करना चाहते हैं। इसका एक अलग समाधान भी है।
आप 1 दिन में विवाह कर सकते हैं। यदि आप हिंदू धर्म के हैं। तब आप मंदिर में विवाह कर कर और वहां से सर्टिफिकेट बनवा कर अपने रजिस्ट्रार ऑफिस में एक एप्लीकेशन मैरिज सर्टिफिकेट के लिए आवेदन डाल सकते हैं। और यह सर्टिफिकेट बनाने में सिर्फ 1 दिन का समय लगता है। इस प्रकार आप 1 दिन में विवाह कर सकते है।
कोर्ट मैरिज की शर्तें
उम्र: कोर्ट मैरिज के लिए लड़के और लड़कियों को शादी करने के योग्य होना चाहिए। भारत के संविधान के अनुसार लड़के की उम्र 21 वर्ष और लड़की की उम्र 21 वर्ष होना अनिवार्य है। भारत सरकार ने वर्ष 2021 के शीतकालीन सत्र में लड़कियों की विवाह की उम्र बड़ा कर 21 वर्ष कर दी है।
कोई पूर्व-मौजूदा विवाह नहीं: किसी भी पक्ष के लिए कोई पूर्व या मौजूदा विवाह नहीं होना चाहिए या पिछले पति या पत्नी से तलाक लिया गया हो।
मेडिकल कंडीशन: दोनों पक्षों को किसी भी प्रकार के मानसिक विकार/मेंटल डिसऑर्डर से पीड़ित नहीं होना चाहिए।
मंदिर में विवाह कैसे करें
मंदिर में विवाह करने के लिए आपको अपने आयु का प्रमाण पत्र देना होता है और दो गवाह साथ में होने अनिवार्य है मंदिर में पंडित आपकी शादी कर आता है और उसके बाद आपको वहां से अपने शादी का प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य है।
यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो आप की शादी रजिस्टर्ड नहीं हो पाएगी क्योंकि भारत सरकार ने शादी को रजिस्टर कराना अनिवार्य कर दिया है मंदिर में शादी करने के बाद रजिस्टर कराने के लिए वकील से संपर्क करना होगा इस काम में सिर्फ 1 दिन का समय लगता है और आप की शादी रजिस्टर हो जाती हैं।
कोर्ट मैरिज प्रक्रिया के चरण
- विवाह के लिए विवाह की सूचना का आवेदन – इसके लिए कोर्ट में सर्वप्रथम जिले के विवाह अधिकारी को सूचित करना होगा |
- जिसकी सूचना विवाह में शामिल होने वाले पक्षों द्वारा लिखित रूप में दी जाएगी।
- कोर्ट मैरिज की सूचना उस जिले के विवाह अधिकारी को दी जाएगी। सूचना के स्वरूप के तहत आयु और निवास स्थान यानि रेजिडेंस के प्रमाण पात्र संलग्न करने होंगे।
- सूचना का प्रकाशित होना: जिले के विवाह अधिकारी, जिनके सामने सूचना जारी की गई थी, वो सूचना को प्रकाशित करेंगे। सूचना की एक प्रति कार्यालय में एक विशिष्ट स्थान पर तथा एक प्रति उस जिला कार्यालय में जहां विवाह पक्ष स्थाई रूप से निवासी हैं, प्रकाशित की जाएगी।
- विवाह में आपत्ति का दर्ज होना: कोई भी व्यक्ति इसे दर्ज करा सकता है इसका अर्थ है कोई भी व्यक्ति विवाह में आपत्ति दर्ज करा सकता है, जिसका लड़का या लड़की से दूर या पास का रिश्ता हो। यदि दी गई आपत्तियों का कोई आधार होगा तो ही उन पर जांच कराई जाएगी। ये आपत्ति संबंधित जिले के विवाह अधिकारी के सामने दर्ज होती है ।
आपत्ति होने पर:
- आपत्ति होने पर: आपत्ति किए जाने के 30 दिन के भीतर विवाह अधिकारी को जांच-पड़ताल करना होता है। यदि की गई आपत्तियों को सही पाया जाता है, तो विवाह संपन्न नहीं हो होगा।
- आपत्तियों पर कोई भी पक्ष अपील दर्ज कर सकता है। अपील आपके स्थानीय जिला न्यायालय में विवाह अधिकारी के अधिकार क्षेत्र में दर्ज की जा सकती है। और यह आपत्ति के स्वीकार होने के 30 दिन के भीतर ही दर्ज की जा सकती है।
- इसके बाद विवाह अधिकारी की उपस्थिति में दोनों पक्ष और तीन गवाह, घोषणा पर हस्ताक्षर करते हैं। विवाह अधिकारी के हस्ताक्षर भी होते हैं। इस घोषणा का लेख और प्रारूप अधिनियम की अनुसूची 111 के अनुसार होगा ।
- विवाह का प्रमाण पत्र – अब अंत में विवाह अधिकारी विवाह होने के उपरांत मैरिज सर्टिफिकेट पत्र पुस्तिका में एक प्रमाण पत्र दर्ज करेगा । दोनों पक्षों और तीन गवाहों द्वारा हस्ताक्षर करने पर एक सर्टिफिकेट कोर्ट मैरिज का निर्णायक प्रमाण पत्र जारी किया जाता है |
अगर आप घरवालों की अनुमति के बिना शादी करते है तो प्रोटेक्शन क्या करे:
- अगर आपने अपने परिजनों के खिलाफ जाकर अपनी मर्जी से शादी कर ली है और आपको अपनी जान का खतरा सता रहा है, तो आप सुरक्षा ले सकते हैं, हर नागरिक की जीवन की रक्षा करना सरकार का दायित्व है। जहां तक शादी की बात है, तो इसमें जाति कोई बाधा नहीं बनती है। कानून इसकी पूरी इजाजत देता है।
- अगर कोई अपने परिजनों के खिलाफ जाकर शादी करता है और उसको अपनी और अपने जीवन साथी की जान का खतरा है, तो वह इलाके के पुलिस अधीक्षक से सुरक्षा की मांग कर कर सकता है।
- अगर पुलिस सुरक्षा देने से मना करती है, तो ऐसे नवदंपति संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत सीधे हाईकोर्ट और अनुच्छेद 32 के तहत सीधे सुप्रीम कोर्ट जा सकते है।
- संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत हाईकोर्ट और अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट ऐसे मामले को सुनने के लिए बाध्य है. संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत हर नागरिक को जीवन जीने का मौलिक अधिकार मिला है. अगर उसके इस मौलिक अधिकार का हनन होता है, तो सुप्रीम कोर्ट इसकी रक्षा करने के लिए बाध्य है।
- अगर कोई नवदंपति अपनी जान को खतरा बताते हुए सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट जाता है, तो न्यायालय पुलिस और सरकार को आदेश दे सकते हैं कि नवदंपति को सुरक्षा मुहैया कराई जाए। अदालत के आदेश के बाद पुलिस को नवदंपति को सुरक्षा मुहैया करानी ही होगी।
कैसे करें पुलिस को इन्फॉर्म
अब जब आपकी कोर्ट मैरिज हो गयी है तो सबसे पहले आप पुलिस और अपने परिवार को इन्फॉर्म करें। इससे उन्हें तसल्ली मिल जाएगी कि आप सुरक्षित हैं। दूसरा पुलिस को भी सही जानकारी और तर्क मिल जाएगा। इसके बाद पुलिस अपनी जांच बंद कर देगी। पुलिस को इन्फॉर्म करने के लिए ये स्टेप्स फोलो करें।
- सबसे पहले आप अपना मैरिज सर्टिफिकेट अपने माता-पिता को वाट्सएप कर दें।
- आप अपनी शादी का वीडियो या फोटो भी परिवार को भेज सकते हैं।
- इसके बाद अपना मैरिज सर्टिफिकेट अपने निकटतम थाने के SHO (थाना अध्यक्ष) को बाई पोस्ट भेज दें।
- यदि जरूरी हो तो पुलिस स्टेशन या एसपी ऑफिस में जाकर अपने बयान दर्ज करवाएं।
- ऐसे ही एप्लीकेशन और मैरिज सर्टिफिकेट अपनी पत्नी के निकटम पुलिस थाने में भी भेजें।
- बेहतर होगा किसी लायर के थ्रू इंटीमेशन लेटर भेंजे। इसमें वकील आपकी कोर्ट मैरिज की सूचना लीगल लेंग्वेज में पुलिस और आपके परिजनों को देते है।
क्या होता है इन्टीमेशन लेटर
साधारण भाषा में आप इसे सूचना पत्र कहा सकते हैं लेकिन ये है बड़े काम का। इन्टीमेशन लेटर वकील कानूनी भाषा में लिखते हैं। इस लेटर को मुख्यरूप से लड़की के घर, लडके के घर, दोनों के निकटतम थाने और एस पी ऑफिस बाई पोस्ट भेजा जाता है। इसके अलावा भी अगर कपल को लगता है तो वो इसकी कोपी अन्य जगह भी भेज सकते हैं। वकील इंटीमेशन लेटर के साथ आपका कोर्ट मैरिज सर्टिफिकेट अटैच करके पुलिस स्टेशन भेजते हैं| इसके बाद पुलिस को अपनी जांच क्लोज़ करने के लिए जो सवाल करने होते हैं वो पुलिस वकील से करती है और कपल को परेशान नहीं करती। कोर्ट मैरिज के बाद अगर आप इन तरीको से पुलिस को इन्फॉर्म करते हैं, तो पुलिस प्रोटेक्शन लेने में आपको मदद मिलेगी।
यदि आपके पास कोई गवाह (witness) नहीं है तो गवाह की सुविधा भी हमारे द्वारा उपलब्ध कराइ जाती है।
मैरिज रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट की आवश्यकता कहाँ होती है
आज कल मैरिज रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट की आवश्यकता लगभग हर जगह होती है जैसे पासपोर्ट अप्लाई करने के लिए, नया बैंक अकाउंट खोलने के लिए, वीजा अप्लाई करने के लिए। शादी के बाद विदेश में सेटल होने के लिए भी शादी का रजिस्ट्रेशन और उसका सर्टिफिकेट जरूरी होता है।
क्या कोर्ट मैरिज का पंजीकरण यानि रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन किया जा सकता है?
नहीं, रजिस्ट्रेशन के लिए मैरिज ऑफिसर के सामने खुद उपस्थित होना अनिवार्य है, शादी का रजिस्ट्रेशन तभी संभव है।
क्या कोर्ट मैरिज के लिए माता-पिता की मंजूरी जरूरी है?
नहीं, बशर्ते आप बालिग हों और कोर्ट मैरिज के लिए निर्धारित नियमों का पालन किया गया हो।
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