इलाहाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला: महिला को धारा 376D के अंतर्गत गैंग रेप के लिए माना आरोपी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 14 फ़रवरी 2023 को सुनीता पाण्डेय बनाम स्टेट ऑफ यू.पी. और अन्य के मामले की सुनवाई करते हुए एक अहम फैसला दिया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहाँ कि महिला को रेप के लिए IPC की धारा 376 के अंतर्गत दण्डित नहीं किया जा सकता है। क्यूंकि IPC की धारा 375 के आधार पर रेप केवल पुरुष ही कर सकता है। एक महिला कभी भी किसी का रेप नहीं कर सकती है और न ही रेप जैसी वारदात कर सकती।
इस फैसले को समझने से पहले जानते है, की सामूहिक बलात्कार (गैंग रेप) क्या होता है ?
IPC की धारा 376(2)(g) “सामूहिक बलात्कार” को परिभाषित किया गया है। जिसके अनुसार, सामूहिक बलात्कार तब होता है जब एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा एक महिला के साथ, बिना उसकी इच्छा और सहमति के शारीरिक सम्बन्ध बनाये जाते है। यह एक प्रकार का बलात्कार है जिसमें एक से अधिक अपराधी शामिल होते हैं। सामूहिक बलात्कार में, यह आवश्यक नहीं है कि समूह के प्रत्येक व्यक्ति ने बलात्कार का अपराध किया हो। यदि कोई व्यक्ति दूसरों को ऐसा अपराध करने में मदद करता हैं, तब भी उन्हें बलात्कारी माना जायेगा और वह यह दावा करके बच नहीं सकता है कि उसने बलात्कार का अपराध नहीं किया है।
केस: सुनीता पाण्डेय बनाम स्टेट ऑफ यू.पी. और अन्य [आवेदन U/S 482 No. - 39234 of 2022]
• ये मामला 2015 में दर्ज किया गया था। लड़की के पिता ने पुलिस में केस दर्ज कराया था कि उसकी लड़की को कुछ लोगों ने अगवा कर लिया है। इसके बाद पुलिस ने IPC की धारा 363 और 366 के तहत केस दर्ज किया था।
• जब मजिस्ट्रेट के सामने लड़की के CrPC की धारा 164 के तहत बयां दर्ज करवाए गए। तब पीड़िता का कहना था कि उसके साथ हुए रेप के मामले में सुनीता पांडेय भी शामिल थी। निचली अदालत ने पीड़िता के बयान के आधार पर कोर्ट ने सुनीता पांडेय को पेश होने के लिए समन भेजा था।
• एडिशनल सेशन जज की कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुनीता पांडेय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया। उसका कहना था कि एक महिला को रेप के मामले में आरोपी नहीं बनाया जा सकता। निचली अदालत ने जो फैसला दिया है सरासर गलत है।
• इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 14 फरवरी 2023 ये कहते हुए निर्णय दिया की, "माना एक महिला बलात्कार का अपराध नहीं कर सकती है लेकिन अगर उसने लोगों के एक समूह के साथ बलात्कार के कृत्य में मदद की है तो संशोधित प्रावधानों के मद्देनजर उस पर सामूहिक बलात्कार का मुकदमा चलाया जा सकता है। इस तरह से सुनीता पांडेय को IPC की धारा 376D के तहत गैंग रेप का दोषी माना गया। पुरुष के विपरीत, एक महिला को भी यौन अपराध का दोषी ठहराया जा सकता है। एक महिला को भी सामूहिक बलात्कार का दोषी ठहराया जा सकता है अगर उसने व्यक्तियों के एक समूह के साथ बलात्कार के कृत्य में मदद की है।"
• IPC की धारा 376D में गैंग रेप के लिए दंड का प्रवधान किया गया है। इस धारा में "कोई व्यक्ति" शब्द लिखा हुआ है, जो की इंग्लिश डिक्शनरी के अनुसार 'एक व्यक्तिगत इंसान' या 'एक पुरुष, महिला या बच्चे' के रूप में परिभाषित किया गया है। इस तरह से धारा 376D के अंतर्गत महिला को भी गैंग रेप के लिए आरोपी माना गया। IPC की धारा 376D के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति गैंग रेप में दूसरे लोगों की मदद भी करता है तो उसके खिलाफ 376 D के तहत गैंगरेप का केस चलाया जा सकता है।
इस केस से पहले भी इंडिया में कई बार कोर्ट के सामने ये प्रश्न उठा था की क्या एक महिला को रेप के लिए दण्डित किया जा सकता है?
केस: प्रिया पटेल बनाम स्टेट ऑफ़ मध्य प्रदेश 2006
इस मामले में ये सवाल उठा था की ‘क्या एक महिला पर सामूहिक बलात्कार का आरोप लगाया जा सकता है?’ इस जवाब में कोर्ट ने यह कहा था कि IPC, 1860 की धारा 375 में लिखी गयी बलात्कार की परिभाषा के अनुसार एक महिला को कभी भी बलात्कार के लिए दण्डित नहीं किया जा सकता है। क्यूंकि परिभाषा के अनुसार रेप केवल एक पुरुष ही कर सकता है। लेकिन यदि कोई महिला बलात्कार करने के कार्य को सुविधाजनक बनाती है या उसमे किसी तरह से मदद करती है तो उस पर मुकदमा चलाया जा सकता है और सामूहिक बलात्कार के अपराध के लिए दोषी ठहराया जा सकता है। यह नियम भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 34 में निहित सामान्य आशय के सिद्धांत (प्रिंसिपल ऑफ़ कॉमन इंटेंशन) पर आधारित था।
निष्कर्ष
हमारे भारत में कई सारे ऐसे कानून है जो आजादी से बहुत पहले के बने हुए है। इनमे से एक कानून IPC का भी है, जो 1860 में लार्ड मेकॉले के द्वारा बनाया गया था। समय को और क्राइम करने के तरके को देखते हुए आज IPC में बहुत सारे संसोधन की आवश्यकता है। 2022 में पंजाब के जालंधर में 4 महिलाओ ने मिलकर एक पुरुष के साथ गैंग रेप किया था। लेकिन उन महिलाओ को रेप के लिए दंड नहीं दिया जा सकता है, क्यूंकि आपको भी पता है की धारा 375 के अनुसार रेप केवल पुरुष ही कर सकता है। इसलिए जो क्राइम उन महिलाओ ने किया उसके उन्हें दंड नहीं मिलेगा। आज के इस कलयुग को देखते हुए और क्राइम को देखते हुए IPC की धारा 375 में रेप की परिभाषा को भी संसोधित करना चाहिए। ताकि महिलाएं भी कानून का गलत फायदा न उठाये और समाज के हर वर्ग के व्यक्ति को न्याय मिले। इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस निर्णय से अब सुनीता पांडेय को भी धारा 376D के अंतर्गत सामूहिक बलात्कार का दोषी पाया गया है, जो की एक ऐतिहासिक निर्णय है।
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